वेदस्य निर्रमलं चक्षुः

ज्योतिषशास्त्रमकल्मषम्

संसार में जो कुछ भी दृष्टि गो चर हो रहा है और भला- बुरा दिखने में आ रहा है वो सब माँ प्रकृति के कण्ट्रोल में है परंतु प्रकृति माता स्वयं नियम के अधीन है जैसे की संविधान के अधीन मनुष्य।

इसलिए प्रकृति के हर एक रचना की बुनियाद नियम है। माँ प्रकृति प्राणियों के कर्मों का फल प्रत्यक्ष आकर नहीं देती आपितु अप्रत्यक्ष रुप से ग्रहों को निमित्त बनाकर प्राणियों के द्वारा पूर्व काल में किए गये अच्छे-बुरे कर्मों का फल सुख एवं दूखः रुप में देती है
जिसे प्रारब्ध कहते हैं।

प्रकृति और ग्रहों का ताल–मेल बहुत ही गोपनीय वं शास्वत है। हर अनहोनी को तप, साधना और ग्रहों के माध्यम से रोका जा सकता है और उसमे सुधार किया जा सकता है और सुधार करने की प्रक्रिया सिर्फ सच्चे साधु-संतों एवं ज्योतिष वैज्ञानिकों के पास है।
किंतु ध्यान,साधना और ज्योतिष विज्ञान का रहस्य पताल के उदर के समान अत्यंत गूढ और गंभीर है अतः समय तथा नियम के सिद्धांत को जिसने समझा नहीं वह जीवन भर साधना के परिणाम से वंचित रहा वस्तुतः मोक्ष की साधना तो बड़ी दूर की बात रही एक छोटा सा बिच्छू काटा मंत्र भी सिद्ध होने वाला नहीं है।
इसलिए संत महापुरुष प्रकृति और ग्रहों के नियमो को समझ कर अपना जीवन जीते हैं और कठिन से कठिन ध्यान,साधना करके अपने आप को उस स्तर पे पहुंचा देते हैं। जिससे माँ प्रकृति प्रसंन हो जाती है और प्रेम वश उनकी हर प्रार्थना को स्विकार कर लेती है क्योंकि वो निश्वार्थ कर्म करते हैं। जैसे कोई पेड़ अपना फल नहीं खाता वैसे ही संत महात्मा अपने तप का भोग स्वयं नहीं करते हैं।| वो अपने सारे सत कर्मों का पुण्य फल समा कल्याण के लिए सौंप देते हैं।
लेकिन ये हमें कैसे पता चले की हमारी दक्षिणा हमारे ग्रहों तक, पित्रों तक और देवी- देवताओं तक पहुँच रही है या नहीं ?
तो आप प्रक्रिया में उतर ने से पहले निरंतर तीन दिन का एक छोटा सा प्रयोग करके देख सकते हैं जैसे की आप किसी के नाम पे माता, पिता,धर्म पतनी, भाई, बहिन, चाचा, दोस्त, नौकर या कोई भी जो दुनिया के किसी भी कोने में रहते हों, उन सब के नाम पे अपनी सामर्थ के अनुसार या कमसे कम दक्षिणा भेज कर भी उन सबको गंगा जी की दिव्य ऊर्जा या शक्ति का आभास करवा सकते हैं।
उनके नाम पे तीन दिन की प्रकृति हीलिंग्स हो जायेगी। जिसके माध्यम से उनको पहले या दूसरे दिन से ही पता चल जायेगा की उनके चारो तरफ एक पॉजिटिव एनर्जी का आभा मंडल बनना शुरू हो गया है वास्तव में आपके बिगड़ते हुए काम बनने शुरू हो जायेंगे और अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर समझ लें की आपकी दक्षिणा ग्रहों तक भी नहीं पहोच पाएगी।

ये एक ऐसा दैविक प्रयोग है जिसके माध्यम से दुनिया के बड़े से बड़े बिज़नस मैन अपने बिज़नस को कामयाबी के सिखर पे ले जा चुके हैं और देह और मन से संबंधित घातक बीमारियों से छुटकारा पा चुके हैं।

Call Now